तहेदिल से परमेश्वर की आत्मा को स्पर्श करके लोग परमेश्वर पर
विश्वास करते हैं, उससे प्रेम करते हैं, और उसे संतुष्ट करते हैं, और इस प्रकार वे परमेश्वर की संतुष्टि प्राप्त करते हैं; जब वे तहेदिल से परमात्मा के शब्दों को समझते हैं, तो परमेश्वर की आत्मा का उन पर भावनात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि तुम एक उचित आध्यात्मिक जीवन प्राप्त करना चाहते हो और परमेश्वर के साथ एक उचित संबंध स्थापित करना चाहते हैं, तो तुमको पहले उसे अपना हृदय अर्पित करना होगा, और अपने हृदय को उनके सामने शांत करना होगा। अपने पूरे हृदय को परमेश्वर की स्तुति में डुबोकर ही तुम धीरे-धीरे एक उचित आध्यात्मिक जीवन का विकास कर सकते हो। यदि लोग परमेश्वर को अपना हृदय अर्पित नहीं करते हैं और उस पर पूरी तरह विश्वास नहीं करते हैं,
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