सुज़िंग शांग्ज़ी प्रांत
मैं एक घमण्डी और अकडू व्यक्ति हूँ, और पद मेरी कमज़ोरी रहा है। कई वर्षों से मैं प्रतिष्ठा और पद से बँधी रही हूँ और मैं स्वयं को इससे स्वतन्त्र करने में समर्थ नहीं हुई हूँ। बार-बार मुझे पदोन्नत और स्थानान्तरित किया गया है; मुझे मेरे पद में अनेक असफलताएँ मिली हैं और मार्ग में अनेक धक्के लगे हैं। अनेक वर्षों तक निपटाए जाने और शुद्ध किए जाने के पश्चात्, मुझे महसूस होता था कि मैं अपने पद को गम्भीरता से नहीं ले रही हूँ। मैं उस तरह का नहीं होना चाहती थी जैसा मैं अतीत में थी, और यह सोचती थी कि जब तक मैं एक अगुवा हूँ, तब तक मैं परमेश्वर के द्वारा सिद्ध की जा सकती हूँ, और यह कि यदि मैं एक अगुवा नहीं हूँ, तो मेरे पास कोई आशा नहीं है। मैं समझ गई थी कि जो कर्तव्य मैं पूर्ण कर रही थी, उस पर ध्यान दिए बिना,
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ज़ियांग वांग सिचुआन प्रांत
मैं हर बार अपने हृदय की गहराई से ताड़ना महसूस करता हूँ, जब भी मैं देखता हूँ कि परमेश्वर के वचन कहते हैं कि: "क्रूर, निर्दयी मानवजाति! साँठगाँठ और साज़िश, आपस में धक्का-मुक्की, सम्मान और संपत्ति के लिए छीनाझपटी, एक-दूसरे का कत्ल करना-आखिर ये सब कब समाप्त होगा? परमेश्वर ने लाखों वचन कहे हैं, तब भी किसी को अभी तक अक़्ल नहीं आई है। वे अपने परिवार, और बेटों और बेटियों के वास्ते, आजीविका, हैसियत, अभिमान, और पैसों के लिए, कपड़ों के वास्ते, भोजन और देह क्रिया करते हैं-किसकी क्रियाएँ वास्तव में परमेश्वर के लिए हैं? यहाँ तक कि उनमें से भी जिनकी क्रियाएँ परमेश्वर के वास्ते हैं, मात्र थोड़े ही हैं
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