मैं ईश्वर के परिवार में लौट आया, जोश और खुशियों से भरकर।
नाज़ है सच्चे प्रभु जाना तुझे, दिल अपना मैंने किया तुझे अर्पण।
आंसुओ की घाटी से गुज़रा मगर, देखा है मैंने प्रेम प्रभु का।
दिन-ब दिन बढ़ता प्रभु में प्रेम मेरा, है प्रभु मेरी खुशियों का खज़ाना।
उसकी सुंदरता पे मो
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