विजेता क्या होता है? एक विजेता में सत्य की कौन-सी वास्तविकता होनी चाहिए? इस बात को साफ़ तौर पर कोई नहीं समझता। इंसानी नज़रिए से देखें तो, अगर हम प्रभु के लिये मेहनत करें, उनके नाम को थामे रहें तो हम आख़िर में विजेता बन जाएंगे। लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। आइये देखें विजेता बनने के बारे में परमेश्वर क्या कहते हैं, जैसा कि प्रकाशितवाक्य में लिखा है, "ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4-5)। और आइये देखें
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