परमेश्वर के अति-उत्कृष्ट वचन:
आरंभ में मानवजाति के सृजन के बाद, ये इस्राएली ही थे जिन्होंने कार्य के आधार के रूप में काम किया, और सम्पूर्ण इस्राएल पृथ्वी पर यहोवा के कार्य का आधार था। यहोवा का कार्य मनुष्य का सीधे नेतृत्व करना और व्यवस्थाओं की स्थापना करके मनुष्य की चरवाही करना था ताकि मनुष्य एक सामान्य जीवन जी सके और पृथ्वी पर सामान्य रूप से यहोवा की आराधना कर सके। व्यवस्था के युग में परमेश्वर एक ही था जिसे मनुष्य के द्वारा न तो देखा जा सकता था और न ही छुआ जा सकता था। वह केवल शैतान द्वारा पहले भ्रष्ट
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