1. मत्ती 12:1 उस समय यीशु सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके चेलों को भूख लगी तो वे बालें तोड़-तोड़कर खाने लगे।

2. मत्ती 12:6-8 पर मैं तुम से कहता हूँ कि यहाँ वह है जो मन्दिर से भी बड़ा है। यदि तुम इसका अर्थ जानते, "मैं दया से प्रसन्न होता हूँ, बलिदान से नहीं," तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है।

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Category: यीशु की कहानी | Views: 103 | Added by: shixinshiyi1234 | Date: 2019 October 07 | Comments (0)

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