यदि हम व्यवस्था के युग में
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के महत्व और सार को प्रकट करने वाले उसके वचनों पर ईमानदारी से चिंतन कर सकें, तो हम पूरी तरह से यह पहचानने में सक्षम हो जाएँगे कि व्यवस्था के युग में परमेश्वर का कार्य मनुष्य के निर्माण के बाद मानवजाति के मार्गदर्शन का आरंभिक कार्य था।
यहोवा व्यवस्था के युग में शाश्वत, अद्वितीय सच्चा परमेश्वर था, जो इस्राएलियों के सामने प्रकट हुआ, जिसने मिस्र के राजा के नियंत्रण की अधीनता और दासता से उन्हें बाहर निकाला था, और फिर उसने इस्राएलियों को व्यवस्थाएँ और आज्ञाएँ जारी की, इस प्रकार परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से मानवजाति के जीवन के मार्गदर्शन की शुरुआत की।
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