वर्तमान धारा में, हर एक व्यक्ति जो सच में परमेश्वर से प्रेम करता है उसके पास परमेश्वर द्वारा उसे पूर्ण किए जाने का अवसर होता है। भले ही वे युवा हों या वृद्ध, जब तक वे अपने हृदय में परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता और उसके लिए सम्मान रखते हैं, वे उसके द्वारा पूर्ण किए जाने के योग्य रहेंगे। परमेश्वर लोगों को उनके भिन्न भिन्न कार्यों के अनुसार पूर्ण करता है। जब तक तू अपने सामर्थ्य में सब कुछ करता है और अपने आपको परमेश्वर के कार्य हेतु समर्पित करते है तो तू उसके द्वारा पूर्ण किए जाने के योग्य रहेगा। वर्तमान समय में तुम लोगों में से कोई भी पूर्ण नहीं है। कभी कभी तुम लोग एक प्रकार का कार्य करने में सक्षम होते हो और कभी कभी दो प्रकार के कार्य करने में सक्षम होते हो; जब तक तुम लोग अपना सारा सामर्थ्य परमेश्वर को दे देते हो और अपने आपको उसके लिए खपा देते हो, तब अंत में तुम सब परमेश्वर द्वारा पूर्ण किए जा ... Read more »
Category: सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन | Views: 52 | Added by: shixinshiyi1234 | Date: 2019 August 02 | Comments (0)

क्या तुम लोगों ने देखा है कि इस समूह के लोगों में परमेश्वर कौन सा कार्य पूर्ण करेगा? परमेश्वर ने कहा, कि यहाँ तक कि सहस्राब्दि राज्य में भी लोगों को उसके कथनों का पालन अवश्य करना चाहिए, और भविष्य में परमेश्वर के कथन अंततोगत्वा मनुष्य के जीवन को कनान के उत्तम देश में सीधे तौर पर मार्गदर्शन करेगा। जब मूसा जंगल में था, तो परमेश्वर ने सीधे तौर पर उसे निर्देश दिया और उससे बातचीत की। स्वर्ग से परमेश्वर ने लोगों के आनन्द के लिए भोजन, पानी और मन्ना भेजा, और आज भी ऐसा ही हैः परमेश्वर ने लोगों के आनन्द के लिए व्यक्तिगत रूप से खाने और पीने की चीजें भिजवाई, और लोगों को ताड़ना देने के लिए व्यक्तिगत तौर पर श्राप भेजा। और इसलिए उसके कार्य का प्रत्येक कदम व्यक्तिगत तौर पर परमेश्वर के द्वारा ही उठा ... Read more »

मैं अपना कार्य अन्यजाति देशों में फैला रहा हूँ। मेरी महिमा पूरे ब्रह्माण्ड में चमकती है; मेरी इच्छा कुछ यत्र–तत्र फैले लोगों में समाहित है, सब मेरे हाथ के इशारों पर चलते हैं और उन कामों को प्रचारित करते हैं जो मैंने उन्हें सौंपे हैं। इस बिंदु से आगे, सभी लोगों को एक दूसरे विश्व में लाते हुए, मैंने एक नए युग में प्रवेश किया है। जब मैं अपनी “मातृभूमि” लौटा तो मैंने अपनी मूल योजना के कार्य का एक और भाग आरम्भ किया, ताकि इंसान मुझे और गहराई से जान जाए। मैं दुनिया को पूरी समग्रता में देखता हूं और सोचता हूं कि यह मेरे कार्य के लिए अनुकूल समय है, इसलिए इधर–उधर जाता हूँ और इंसान पर अपना नया कार्य करता हूँ। आखिरकार, यह एक नया युग है और मैं नए युग में नए लोगों को लेने के लिये नया काम लाया हूं और जिन्हें मैं हटा दूंगा उन्हें किनारे कर देता हूं। बड़े लाल अजगर के ... Read more »

संपूर्ण जगत में अपने कार्य की शुरूआत से ही, परमेश्वर ने अनेक लोगों को अपनी सेवा के लिए पूर्वनियत किया है,जिसमें हर व्यवसाय के लोग शामिल हैं। उसका प्रयोजन अपनी स्वयं की इच्छा को पूरा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि पृथ्वी पर उसके कार्य को निर्बाध रूप से सफलता तक पहुँचाया जाए। परमेश्वर का लोगों को अपनी सेवा हेतु चुनने का यही प्रयोजन है। परमेश्वर की सेवा करने वाले हर व्यक्ति को परमेश्वर की इस इच्छा को अवश्य समझना चाहिए। उसके इस कार्य के माध्यम से, लोग परमेश्वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता को बेहतर ढंग से देखने, और पृथ्वी पर उसके कार्य के सिद्धान्तों को देखने में समर्थ होते हैं। वास्तव में परमेश्वर अपना काम करने, लोगों के संपर्क में आने के लिए पृथ्वी पर आता है,ताकि वे उसके कर्मों को अधिक स्पष्ट रूप से ... Read more »

तहेदिल से परमेश्वर की आत्मा को स्पर्श करके लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, उससे प्रेम करते हैं, और उसे संतुष्ट करते हैं, और इस प्रकार वे परमेश्वर की संतुष्टि प्राप्त करते हैं; जब वे तहेदिल से परमात्मा के शब्दों को समझते हैं, तो परमेश्वर की आत्मा का उन पर भावनात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि तुम एक उचित आध्यात्मिक जीवन प्राप्त करना चाहते हो और परमेश्वर के साथ एक उचित संबंध स्थापित करना चाहते हैं, तो तुमको पहले उसे अपना हृदय अर्पित करना होगा, और अपने हृदय को उनके सामने शांत करना होगा। अपने पूरे हृदय को परमेश्वर की स्तुति में डुबोकर ही तुम धीरे-धीरे एक उचित आध्यात्मिक जीवन का विकास कर सकते हो। यदि लोग परमेश्वर को अपना हृदय अर्पित नहीं करते हैं और उस पर पूरी तरह विश्वास नहीं करते हैं, ... Read more »

परमेश्वर में विश्वास करने में तुम्हें कम से कम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध रखने के विषय का समाधान करना चाहिए। परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध के बिना परमेश्वर में विश्वास करने का महत्व खो जाता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करना परमेश्वर की उपस्थिति में अपने हृदय को शांत करने के द्वारा ही किया जा सकता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करने का अर्थ है परमेश्वर के किसी भी कार्य पर संदेह न करना या उसका इनकार न करना, बल्कि उसके प्रति समर्पित रहना, और इससे बढ़कर इसका अर्थ है परमेश्वर की उपस्थिति में सही इरादों को रखना, स्वयं के बारे में न सोचते हुए हमेशा परमेश्वर के परिवार की बातों को सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में सोचना, फिर चाहे तुम कुछ भी क्यों न कर रहे हो, परमेश्वर के अवलोकन को स ... Read more »

ऐसे लोगों के अतिरिक्त जिन्हें पवित्र आत्मा का निर्देश और अगुवाई प्राप्त है, कोई भी स्वतंत्र रूप से जीवन जीने में सक्षम नहीं है, क्योंकि उन्हें परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल किए गए लोगों की सेवकाई और उनके मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, परमेश्वर हर पीढ़ी में अलग-अलग लोगों को खड़ा करता है, जो उसके कार्य के लिए कलीसिया के मार्गदर्शन के लिए व्यस्त और कार्यरत रहते हैं। कहने का अर्थ यह है कि परमेश्वर का कार्य उन लोगों द्वारा होना चाहिए जिन पर वह अनुग्रह करता है और जिनको वह प्रमाणित करता है; पवित्र आत्मा को कार्य करने के लिए उनके भीतर के उस भाग का इस्तेमाल करना चाहिए जो उ ... Read more »

तुम कितनी धार्मिक परम्पराओं का पालन करते हो? कितनी बार तुमने परमेश्वर के वचन का विरोध किया है और अपने तरीके से चले हो? कितनी बार तुम परमेश्वर के वचनों को इसलिए अभ्यास में लाए हो क्योंकि तुम उसके उत्तरदायित्व के बारे में सच में विचारशील हो और उसकी इच्छा पूरी करना चाहते हो? परमेश्वर के वचन को समझो और उसे अभ्यास में लाओ। क्रियाओं और कर्मों में उच्च सिद्धांत वाले बनो; यह नियम में बंधना या बेमन से बस दिखावे के लिए ऐसा करना नहीं है। बल्कि, यह एक सत्य का अभ्यास और परमेश्वर के वचन में जीवन व्यतीत करना है। केवल इस प्रकार का अभ्यास ही परमेश्वर को संतुष्ट करता है। कोई भी प्रथा जो परमेश्वर को प्रसन्न करती हो कोई नियम नहीं है बल्कि  ... Read more »

तुम परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हो? अधिकांश लोग इस प्रश्न से हैरान हैं। उनके पास व्यावहारिक परमेश्वर और स्वर्ग के परमेश्वर के बारे में हमेशा से बिलकुल दो भिन्न दृष्टिकोण रहे हैं, जो दिखाता है कि वे आज्ञापालन के लिए नहीं, बल्कि कुछ निश्चित लाभों को प्राप्त करने, या विपत्तियों के कष्ट से बच निकलने के लिए परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। केवल तभी वे थोड़ा बहुत आज्ञाकारी होते हैं, किन्तु उनकी आज्ञाकारिता सशर्त है, यह उनकी स्वयं की व्यक्तिगत भावी संभावनाओं के वास्ते है, और जो उन पर जबरदस्ती डाली जाती है। इसलिए: तुम परमेश्वर पर विश्वास क्यों करते हो? यदि यह केवल तुम्हारी संभावनाओं, और तुम्हारे भाग्य के लिए है, तो बेहतर है कि तुम विश्वास ही ... Read more »


तुम आत्मा के सुनिश्चित विवरणों को कैसे समझते हो? पवित्र आत्मा मनुष्य में कैसे कार्य करता है? शैतान मनुष्य में कैसे कार्य करता है? दुष्ट आत्माएँ मनुष्य में कैसे कार्य करती हैं? और इस कार्य के प्रकटीकरण क्या हैं? जब तुम्हारे साथ कुछ घटित होता है, तो क्या यह पवित्र आत्मा की ओर से होता है, और क्या तुम्हें उसे मानना चाहिए या ठुकरा देना चाहिए? लोगों की वास्तविक क्रिया उसे बहुत बढ़ा देती है जो मनुष्य की इच्छा से आती है, परंतु फिर भी लोग मानते हैं कि वह पवित्र आत्मा की ओर से है। कुछ बातें दुष्ट आत्माओं की ओर से आती हैं, परंतु फिर भी लोग सोचते हैं कि यह पवित्र आत्मा से जनित है, और कभी-कभी पवित्र आत्मा भीतर से लोगों की अगुवाई करता है, फिर भी लोग डर जाते हैं कि ऐसी अगुवाई शैतान की ओर से होती है, और फिर आज्ञा मानने का साहस नहीं करते, जबकि वास्तविकता में यह पवित्र आत्मा का प्रकाशन होता है। अतः, इनमें भेद किए बिना इसका अनुभव करने ... Read more »

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