
शायद परमेश्वर में आपके विश्वास की यात्रा एक या दो वर्ष से अधिक की रही हो, और शायद इन वर्षों में आपने बहुत सी कठिनाइयों को झेला हो; या शायद आप कठिनाइयों से गुज़रे ही न हों और इसके बजाय आपने अत्यधिक अनुग्रह प्राप्त किया हो। ऐसा भी हो सकता है कि आपने न तो कठिनाइयों का और न ही अनुग्रह का अनुभव किया हो, बल्कि इसके बजाए बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत किया हो। चाहे जैसा भी हो, फिर भी आप परमेश्वर के एक अनुयायी है
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