यदि परमेश्वर देह नहीं बना होता, तो वह ऐसा पवित्रात्मा बना रहता जो मनुष्यों के लिए अदृश्य और अमूर्त होता। मनुष्य देह वाला प्राणी है, और मनुष्य और परमेश्वर दो अलग-अलग संसारों से सम्बन्धित हैं, और स्वभाव में भिन्न हैं। परमेश्वर का आत्मा देह वाले मनुष्य से बेमेल है, और उनके बीच कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं किया जा सकता है; इसके अतिरिक्त, मनुष्य आत्मा नहीं बन सकता है। वैसे तो, परमेश्वर के आत्मा को प्राणियों में से एक अवश्य बनना चाहिए और अपना मूल काम करना चाहिए। परमेश्वर सबसे ऊँचे स्थान पर चढ़ सकता है और सृष्टि का एक मनुष्य बनकर, कार्य करते हुए और मनुष्य के बीच रहते हुए, अपने आपको विनम्र भी कर सकता है, परन्तु मनुष्य सबसे ऊँचे स्थान पर नहीं चढ़ सक
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